नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने 1 अप्रैल को सीबीआई के स्थापना दिवस पर सीबीआई को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि सीबीआई की विश्वसनीयता शक के दायरे में आ गई है।
उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सीबीआई अब 'पिंजरे में बंद तोता' नहीं रही। यह केंद्रीय एजेंसी अपने सभी दायित्व पूरी निष्ठा के साथ निभा रही है। रिजिजू के इस बयान को सीजेआई को केंद्र सरकार का जवाब माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश की सर्वोच्च आपराधिक जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को पिंजरे में बंद तोता की संज्ञा दी थी। वह वर्ष 2013 था, जब सुप्रीम कोर्ट की इतनी बड़ी टिप्पणी से सीबीआई की छवि को गहरा आघात पहुंचा था। मौजूदा चीफ जस्टिस ने भी तीन दिन पहले कुछ उसी तरह की टिप्पणी की थी।
चीफ जस्टिस रमण ने सीबीआई के स्थापना दिवस पर आयोजित 19वां डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान में कहा था कि गुजरते समय के साथ कई मामलों को लेकर सीबीआई की कार्रवाई और निष्क्रियता पर सवाल खड़े हुए हैं, जिसके चलते इस जांच एजेंसी की विश्वसनीयता सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है।
उन्होंने विभिन्न जांच एजेंसियों को एक छत के नीचे लाने के लिए एक स्वतंत्र निकाय बनाने का भी आह्वान किया था। वहीं, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सीबीआई के जांच अधिकारियों के पहले सम्मेलन में अपने संबोधन का छोटा सा वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया और लिखा, सीबीआई अब 'पिंजरे में बंद तोता' नहीं है, बल्कि वास्तव में भारत की टॉप आपराधिक जांच एजेंसी के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही है।
रिजिजू ने कहा, मुझे अच्छी तरह याद है कि एक समय था, जब सरकार में बैठे लोग कभी-कभी जांच में बाधा बन जाते थे। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में कोयला खदान आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' करार दिया था।
रिजिजू ने कहा आज एक ऐसा प्रधानमंत्री है, जो खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में मुख्य भूमिका निभा रहा है। कानून मंत्री ने कहा मैं उन कठिनाइयों को जानता हूं जब सत्ता में बैठे लोग भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं, तब उनका अनुपालन करना मुश्किल होता है, सीबीआई के लिए यह मुश्किल भरा रहा। तब हमने अतीत में न्यायपालिका से कुछ तल्ख टिप्पणियां सुनी हैं। हम अब एक लंबा सफर तय कर चुके हैं।