कोरोना की वजह से घर लौटने को मजबूर हुए 20 हजार भारतीय छात्रों को चीन 3 साल से वापसी का वीसा नहीं दे रहा है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मार्च में हुई सहमति के बावजूद चीन कई तरह के अड़ंगे लगाकर मामले को लटकाए हुए है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी की 25 मार्च को भारत यात्रा के समय भारतीय छात्रों की वापसी का मुद्दा उठाया था। वांग ने सहमति दी थी कि छात्रों को चरणबद्ध ढंग से वापस लिया जाएगा। उसके बाद चीन ने भारतीय दूतावास से छात्रों की सूची मांगी। सूची मिलने के बाद चीन ने उसे यह कहते हुए वापस किया कि इसमें प्राथमिकता वाले छात्रों की अलग-अलग सूची दी जाए।
1% छात्रों की वापसी के लिए तैयार चीन
भारत
सरकार ने पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों की अलग-अलग सूचियां
दीं। लेकिन, अब चीन इनमें से सिर्फ 1% छात्रों की वापसी के लिए राजी है।
यानी, जो भारतीय छात्र 3 साल पहले चीन में पढ़ाई कर रहे थे, उनमें सिर्फ 1%
छात्रों की वापसी संभव है। दरअसल, कोरोना फैलने के बाद चीन ने 5 लाख विदेशी
छात्रों का वीसा सस्पेंड कर दिया था। अब अन्य देशों के छात्रों को वापस ले
लिया, पर भारतीयों की वापसी नहीं करा रहा है।
...और असली वजह ये
एलएसी पर वार्ता के लिए छात्रों को टूल बना रहा चीन
भारतीय
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया- चीन इन छात्रों को LAC का तनाव
खत्म करने की बातचीत में ‘बार्गेन चिप’ के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
सार्वजनिक तौर पर तो चीनी प्रवक्ता ने कहा कि छात्रों की वापसी के लिए
दोनों सरकारें को-ऑर्डिनेशन कर रही हैं, लेकिन असलियत यह है कि वह एकपक्षीय
तरीके से वापसी की प्रक्रिया तय कर रहा है। पिछले महीने ही चीनी सरकार ने
कहा था कि संबंधित यूनिवर्सिटीज छात्रों से खुद ही संपर्क करेंगी। लेकिन,
एक भी यूनिवर्सिटी ने ऐसा नहीं किया है।
चीन ने ये शर्तें बताईं