नई दिल्ली । कश्मीरी पंडित हर साल नवरेह का त्यौहार मनाते हैं, लेकिन इस साल यह दिन कुछ खास रहा। करीब 32 सालों के लंबे इंतजार के बाद श्रीनगर में माता शारिका देवी मंदिर में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों ने पूजा की। इस दौरान पूजा में शामिल होने वालों में वे लोग भी थे, जो हिंसा के दौर में पलायन के लिए मजबूर हुए थे। माता की भक्ति में शामिल हुए लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था।
साथ ही वे अपने पिछले और नए अनुभवों को भी साझा कर रहे थे। कश्मीरी पंडित कैलेंडर के अनुसार, नवरेह, नववर्ष का पहला दिन होता है। कार्यक्रम में सांसद सुब्रमण्यम स्वामी मुख्य अतिथि थे। श्रीनगर के मध्य में 'हरी पर्वत' नाम की छोटी पहाड़ी पर मौजूद माता शारिका देवी मंदिर में शनिवार को नजारा अलग था। तीन दशक से भी ज्यादा समय के बाद यह मौका आया था, जब कश्मीरी पंडित नवरेह के मौके पर माता की पूजा कर रहे हैं।
इन्हीं लोगों में डॉक्टर रवीश का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा कि वे नहीं बता सकते हैं कि यहां आकर कैसा लग रहा है। रवीश बताते हैं कि जीवन के शुरुआती 20 सालों तक वे मंदिर आते रहे और यहां प्रार्थना करते थे। वे कहते हैं कि उनकी आत्मा यही थी, बस शरीर 32 सालों के बाद यहां आया है।
रवीश भी 90 के दशक में आतंकवाद से परेशान होकर जगह छोड़ने को मजबूर हो गए थे। वे बताते हैं कि उनके माता-पिता भी इस मंदिर में आना चाहते थे, लेकिन इस इच्छा के साथ ही दुनिया से विदा हो गए। वे माता शारिका से सबकुछ ठीक होने का आशीर्वाद मांगते हैं। साथ ही चाहते हैं कि पुराना भाई चारा लौट आए। घाटी में दोबारा बसने की उम्मीद रखे लोगों में कश्मीरी पंडित विजय रैना का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा कि नए साल के दिन इस माहौल से विस्थापित हुए लोगों में अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले हम सोचते थे कि यहा वापसी नहीं हो पाएगी, लेकिन अब स्थिति सुधर रही है और लग रहा है कि पंडित समुदाय जल्द ही लौटेगा।