अशोकनगर मुंगावली मैं एक दर्जन से ज्यादा विधायक और बाहरी सांसद व्यस्त लेकिन स्थानीय सांसद नदारद। कांग्रेस ने परिवार पर डाले हैं डोरे भाई मांग चुके हैं कांग्रेस से टिकिट। इन दूरियों को क्या नाम दें।
अशोकनगर:- भाजपा द्वारा अशोकनगर और मुंगावली उपचुनाव के लिए दमखम के साथ अपने विधायकों व सांसदों को क्षेत्र में कार्य करने के लिये यहां भेजा है। और एक दर्जन से अधिक विधायक और कई सांसद महीनों से गांवों की खाक छानते फिर रहे हैं और पार्टी के प्रत्याशियों के लिये वोट मांग रहे हैं। लेकिन मुंगावली विधानसभा में व अशोकनगर शहर में निवासरत सांसद केपी यादव इस दौरान ज्यादा नजर नही आ रहे हैं और अपनी अधिकांश समय निजी यात्रा व धार्मिक यात्रा करते दिखाई दे रहे हैं। जिसको देखकर सवाल यह उठता है कि आखिर स्थानीय सांसद केपी यादव का उपयोग पार्टी द्वारा क्यो नही किया जा रहा है। अभी तक कभी कभार ही सांसद नजर आते हैं जबकि उपचुनाव से पहले जब भाजपा विपक्ष मैं थी केपी यादव पार्टी की ओर से नेतृत्व करके आगे दिखाई देते थे।
पार्टी या फिर सिंधिया के आने का प्रभाव:-
ऐसा नही है कि इससे पहले किस मौके पर सांसद केपी यादव एक्टिव दिखाई न दिए हों, जब भी कांग्रेस को घेरने का मौका मिलता था केपी यादव लीड करके आगे नजर आते थे। लेकिन इतने महत्वपूर्ण अवसर पर जहां मुख्यमंत्री से लेकर एक आम कार्यकर्ता चकरघिन्नी हो रहा है ऐसे समय पर केपी यादव को इतनी फुर्सत में देखने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या इनको पार्टी ने उपचुनाव से दूर रहने को कहा है या फिर सिंधिया के भाजपा में आने के कारण केपी ने अपने आप को न्यूटल कर लिया है। फिलहाल जो भी हो जनता के बीच केपी यादव की दूरियां चर्चा का विषय अवश्य बनी है।
भाई ने मांगा कांग्रेस से टिकिट और अब सांसद की दूरियां:-
सांसद केपी यादव का इस तरह भाजपा के चुनाव प्रचार से नदारद रहना और सिर्फ औपचारिकता पूर्वक कभी कभार कार्यक्रमों में नजर आना भाजपा के लिए अच्छा नही कहा जा सकता क्योंकि राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पटकनी देकर केपी यादव देश भर मैं सुर्खियों में आये थे और आज गुना लोकसभा क्षेत्र में युवायों मै अपनी अलग पहचान रखते हैं जिसको देखकर कांग्रेस ने भी इनके भाई पर डोरे डाले और अजयपाल यादव ने कांग्रेस से टिकिट की मांग की थी और कई बार कांग्रेस प्रभारी सचिन यादव इनके फार्महाउस पर पहुचें हैं। अब बजह जो भी हो फिलहाल यदि स्थानीय सांसद केपी यादव बाहरी विधायकों व सांसदों के साथ क्षेत्र में सक्रिय होते तो आज स्थिति कुछ और नजर आ रही होती